![]() |
Bhaiya ke Saali |
लेकिन सच्चाई यह है की ये रिस्ता गालियां देने और अप्सब्द कहेने के लिए नहीं होती। स्नेह प्यार और संस्कारों से रिस्ते को निभाया जाता है। आप जानते हैं इन गालियों से बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है? सायद ये बात सोचने के लिए किसी के पास फुर्सत नहीं है। बस धड़ल्ले से मज़ाक के रिस्ते को गालियां बॅक दो। वहाँ बच्चे भी रहते हैं। वो गाली सुनते है फिर एक दूसरे को हसते यानि मनोरंजन करते देखते हैं तो उन्हे यह कोई खेल लगता है। वही गालियां बच्चे अपने हमउम्र को देकर हसते हैं जबकि उन्हे इन गालियों का मतलब भी नहीं पता होता है। जब बच्चे गालियां देना सीख जाते हैं। तब बड़े अपने बच्चों को दोष देते हैं और उनकी पिटाई भी कर देते हैं गालियां देने पर। तो दोष किसका है उन बच्चों का ? आप से अनुरोध है की मज़ाक के रिस्तों को गालियां ना दें तथा जो गाली देते हैं उन्हे भी समझाएँ की रिस्ते नाते सिर्फ गालियां देने के लिए नहीं बनते हैं। रिस्ते को पहचान कर थोड़ा बहुत मज़ाक किया जाता है गालियां नहीं दी जाती।
इसे भी पढ़ें - Girls Facts in Hindi: लड़कियों की 30 मजेदार बातें।
आपको यह पोस्ट पसंद आया हो और आप मेरी बातों से सहमत हो तो जरूर इस पोस्ट को शेयर करें॥
और अपनी नई सोच को नई उचाइयाँ दें।
loading...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें