एक सुहाना सफ़र

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रविवार, 3 मार्च 2019

सफलता का मूल मंत्र एक लक्ष्य पर चलें - A Success Story || एक जिज्ञासा

Success
जमाना बादल चुका है। दुनिया मे बहुत आदमी सितारों को छु रहे हैं। बहुत से लोग सितारों को छूने आगे बढ़ते हैं पर वो चाँद को देख कर वह उसे ही पाने की चाहत बना लेते हैं। उसके बाद चाँद तक पहुँचने से पहले ही दूसरी चाहत आ जाती है। यह बात साफ है की अगर हम सिर्फ चाँद पर जाना चाहें तो सिर्फ उसी के बारे मे सोचें, क्यू न आपके पास से सितारे गुजर रहे हो। मेरे कहने का मतलब आप समझ गए होंगे।
मनुष्य को जीवन पथ पर आगे चलने के लिए सिर्फ एक डीसीजन लेना चाहिए। खुद व खुद रास्ता अपने आप निकलेगा, ऐसे वैज्ञानिक कहते हैं की अगले जन्म मे जिस चीज मे ज्यादा रुचि रहती है, दूसरे जन्म मे भी व्यक्ति को वही चाह सताती है। क्यों न वो खेल हो बिज़नस हो डांसर या गायक हो। इसलिए बच्चों पर कभी भी ये करो वो करो नहीं कहना चाहिए। जो दिशाओं को खुद चुनते हैं वो उन्हे हासिल कर के रहते हैं। और अगर गार्जियन के दवाव से वह कार्य करेगा तो वो कहीं का नहीं रहेगा। न घर का ना घाट का। हम जो दिमाग मे सोचते हैं हमारा दिमाग उसी तरह से काम करता है। अगर आप दिमाग मे ढेरो सारे खयाल लाएगे तो दिमाग उलझ जाएगा। और एक भी रास्ता नहीं बताएगा। और अगर आप एक ही चीज करने को ठान लें तो दिमाग अपने आप ही रास्ता बताने लग जाएगा। और वैसे लोग आपको अपने आप मिलेगे जो उस पोजिसन से जुड़े हैं।

महाभारत की कथा मे कहा जाता है की अभिमन्यु का जन्म होने से पहले ही उसे ज्ञान की प्राप्ति होने लगी थी। ये बात वैज्ञानिक तरीके से सत्य भी है। बच्चा जब 6 माह का पेट मे हो जाता है तो बीते हुए जन्म का स्वप्न देखता रहता है। और जब नए जन्म मे प्रवेश करता है तो वह वहाँ का कल्चर ,भाषा, तरीका अपने आप सीखने लगता है। बच्चों पर कोई चीज सीखने पर ज़ोर नहीं देना चाहिए, उसे अपनी दिशा खुद लेने देना चाहिए। हा अगर वो दिशा आपके अनुसार गलत हो तो आप उसका रुख बदल सकते हैं। बच्चे जब नए जन्म लेते हैं तो उसे सिखाने की जरूरत नही होती है। उसे अपने आप भाषाओं का ज्ञान होता जाता है। उसे आप खाना खाने या बोलना नहीं सिखाते हैं। वो खुद अपने से बड़े लोगो को देख कर सीखते हैं इसलिए बच्चों के सामने अभद्रता करने से परहेज करना चाहिए।
बच्चों को थोड़ा बड़ा होने पर उन्हे थोड़ी बहुत मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है। फिर भी अगर बच्चे अपने खयाल से कुछ बनना चाहते हैं तो उनमे रोड़ा ना बने।

इसी संदर्भ मे एक कहानी है।
एक लड़का डॉक्टर बनना चाहता था। उसमे डॉक्टर बनने का सारा गुण था। पर वह अपने पिता जी से बहुत डरता था। एक दिन वो डॉक्टर बनने बाली बात अपने भैया को बताया। उसके भैया ने पापा से बताया। पापा बोले अरे एक मेरा दोस्त है वो पुलिस का नौकरी दिलवा रहा है बिना घुस के। थोड़ी बहुत तैयारी कर लेगा तो पुलिस बन जाएगा तो फिर और पढ़ने की क्या जरूरत है। लेकिन वह लड़का अब रात मे सोता है तो मन मे अजीव-अजीव खयाल आते हैं। कुछ दिन बाद उसका एक दोस्त जो उसके साथ पढ़ता था डॉक्टर बन गया। सभी घर बाले उसके कामयाबी से खुस थे। ये बात इस लड़का को बहुत खला और अंत मे अत्महत्या कर लिया।

तो गलती किसकी थी इसमे ??? नतीजा आपने देख लिया। इसलिए बच्चों के सपनों मे ही आप घुल मिल कर उसके सपने को आगे ले जाये सफलता कदम चूमेगी।                                 
    विनय भारती (एम0 एस0 सी0)
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