आज से 34 साल पहले जब रमानन्द सागर जी का सम्पूर्ण रामायण दूरदर्शन पर टेलिकास्ट हुआ तब उस रामायण के पात्र मे लोग इतना डूब गए थे। की उन कैरेक्टर को असली समझने लगे थे। रामायण सुरू होने से पहले लोग हाथ पैर धोकर रामायण देखते थे और टीवी मे ही राम के करेक्टर को पैर छु लेते थे। यहाँ तक की राम का अभिनय करने बाले अरुण गोबिल जब कहीं निकलते थे तो उनकी पैर भी कई लोग राम समझ कर छू लेते थे। ग्रामीण इलाकों मे तो भगवान आए हैं कह कर सम्बोधन होता था।
लेकिन एक कैरेक्टर ऐसा अभी था जिसे लोग घृणित नजर से देखते थे वो थे अरविंद त्रिवेदी जी (रावण का अभिनय करने बाले) साल 1994 की आस -पास की बात है अरविंद त्रिवेदी जी (रावण) अयोध्या हनुमानगढ़ी पर संकट मोचन के दर्शन करने गए थे। उस समय रेबती बाबा वहाँ के प्रमुख पुजारी थे। वो अरविंद त्रिवेदी जी को देखते ही अकड़ गए और अडिग हो गए की मैं इनको किसी भी कीमत पर दर्शन नहीं करने दूंगा क्योकि ये हनुमान जी को बार-बार मरकट और श्री राम को वन-वन भटकता वनवाशी कह केर संबोधित करता रहा है।
बात प्रशाशन तक पहुंची, प्रशाशन आया और लाख विनती की घुटनो पर बैठ गया लेकिन पुजारी जी झुके नहीं अपनी बातों पर अटल रहे - की मैं इन्हे किसी कीमत पर हनुमान जी का दर्शन नहीं करने दूंगा। त्रिवेदी जी को निराश होकर बापस जाना पड़ा। रावण का भिनय करने वाले त्रिवेदी जी एकदम अलग और शिथिल रहने लगे।
जब लोगो को अपने से घृणा और इशया करते देखे तब त्रिवेदी जी ने अपने घरो और कमरो की दीवारों पर दोहे और चौपाई लिखवाये, घर के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगवाए और उस पर लिखवाया " श्री राम दरवार" इस पर भी उनके मन मे ये संताप रहने लागा की मैंने सीरियल मे ही सही लेकिन बार बार हमने श्री राम को अपमान जनक शब्द बोले हैं तो उन्होने हर साल रामायण का पाठ सुरू कर दिये। ताकि कुछ प्रायश्चित कर सके।
ऐसे अरविंद त्रिवेदी जी राम के बहुत बड़े भक्त हैं। और उन्हे नफरत भरी नजर से देखना सही नहीं है।
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बात प्रशाशन तक पहुंची, प्रशाशन आया और लाख विनती की घुटनो पर बैठ गया लेकिन पुजारी जी झुके नहीं अपनी बातों पर अटल रहे - की मैं इन्हे किसी कीमत पर हनुमान जी का दर्शन नहीं करने दूंगा। त्रिवेदी जी को निराश होकर बापस जाना पड़ा। रावण का भिनय करने वाले त्रिवेदी जी एकदम अलग और शिथिल रहने लगे।
जब लोगो को अपने से घृणा और इशया करते देखे तब त्रिवेदी जी ने अपने घरो और कमरो की दीवारों पर दोहे और चौपाई लिखवाये, घर के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगवाए और उस पर लिखवाया " श्री राम दरवार" इस पर भी उनके मन मे ये संताप रहने लागा की मैंने सीरियल मे ही सही लेकिन बार बार हमने श्री राम को अपमान जनक शब्द बोले हैं तो उन्होने हर साल रामायण का पाठ सुरू कर दिये। ताकि कुछ प्रायश्चित कर सके।
ऐसे अरविंद त्रिवेदी जी राम के बहुत बड़े भक्त हैं। और उन्हे नफरत भरी नजर से देखना सही नहीं है।
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