मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिर में ऐसी मूर्तियाँ हैं जिसमे स्त्री और पुरुषों के यौन संबंध बनाते हुए झलक देखने मिलती है। किसी समय यह स्थान खजूर के जंगल के लिए जाना जाता था। इसी वजह से इसका नाम खजुराहो पडा है।पर अब यह खजूरों के लिए नहीं बल्कि इन मूर्तियों के लिए फेमस है। आइए जानते हैं खजुराहो मंदिर का कुछ रोचक जानकारीयां।
Khajuraho |
बाहरी दीवारों पर लगे कामुक और मनोरम- मोहक मूर्तियाँ काम- क्रिया के बिभिन्न आसनो मे सजाया गया है।
खजुराहो का नाम खजुराहो इसलिए पड़ा क्योकि यहाँ खजूर का विशाल बगीचा हुआ करता था। इसे पहले खजूरबाहक नाम से जाना जाता था।
यह मंदिर खजुराहो का सबसे विशाल तथा विकसित शैली का मंदिर है। 117 फुट ऊंचा, लगभग इतना ही लंबा तथा 66 फुट चौड़ा यह मंदिर सप्तरथ शैली में बना है।
विशालतम मंदिर की बाह्य दीवारों पर कुल 646 मूर्तियां हैं तो अंदर भी 226 मूर्तियां स्थित हैं। इतनी मूर्तियां शायद अन्य किसी मंदिर में नहीं हैं।
इस मंदिर का निर्माण राजा विद्याधर ने मोहम्मद गजनवी को दूसरी बार परास्त करने के बाद 1065 ई. के आसपास करवाया था। बाह्य दीवारों पर सुर-सुंदरी, नर-किन्नर, देवी-देवता व प्रेमी-युगल आदि सुंदर रूपों में अंकित हैं। मध्य की दीवारों पर कुछ अनोखे मैथुन दृश्य चित्रित हैं।
खजुराहो का सबसे प्राचीन मंदिर जिसे राजा हर्षवर्मन ने 920 ई. में बनवाया था। पिरामिड शैली में बने एक ही शिखर वाले इस मंदिर की शिल्प रचना एकदम साधारण है
देश के कई धर्मो ने इसका विरोध भी किया था। की सेक्स काला को मंदिर मे दर्सना उचित नहीं है।
यह मानना गलत होगा की खजुराहो मंदिर केवल कामुक कलाकृतियों के लिये ही प्रसिद्ध है। बल्कि ये कामुक कलाकृतिया प्राचीन भारत की परंपराओ और कलाओ का प्रतिनिधित्व करती है।
खजुराहो मंदिर में मध्यकालीन महिलाओ के जीवन को पारंपरिक तरीके से चित्रित किया हुआ है।
खजुराहो मंदिर |
विश्व धरोहर के रूप मे भी खजुराहो का मंदिर सामील है जो इसकी सुंदरता और प्राचीनता के आधार पर किया गया है।
इस मामले मे इससे जुड़ी एक कथा भी है की-
इस मंदिर के बारे में एक कहानी बताई जाती है, जिसमे हेमावती नाम की एक ब्राह्मण कन्या का ज़िक्र आता है। वह वन में स्थित सरोवर में स्नान कर रही थी तभी चंद्रमा ने उसे देख लिया और उसे देखते ही मुग्ध हो गयाl फिर चंद्रमा ने हेमावती को वशीभूत कर लिया और उसके साथ संबंध बना लिए। पर जब हेमावती ने इसी से एक बालक को जन्म दिया तब समाज ने उसे और उसके बालक को अपनाने से इंकार कर दिया। इस कारण उसे बच्चे का पालन पोषण भी वन में रह कर ही करना पड़ा। बालक का नाम चन्द्रवर्मन रखा गया जिसने बड़े होने के बाद- बड़ा होने पर उसी बालक चन्द्रवर्मन ने अपना राज्य कायम किया। तब उसकी माँ हेमावती ने चन्द्रवर्मन को ऐसा एक मंदिर तैयार करने के लिए प्रेरित किया जिससे सभी लोगों के अंतर में दबी हुई कामनाओं का खोखलापन दिखाई दे ताकि जब इसी मंदिर में प्रवेश करें तो बुराइयों को द्वार पर ही छोड़ आये।
loading...
जानकारी अच्छी लगी हो तो Share जरूर करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें