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सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

बौद्ध धर्म और गौतम बुद्ध से संबन्धित महत्वपूर्ण जानकारी | About Buddhism in Hindi

बौद्ध धर्म मे सदस्यता पाने के लिए न्यूनतम उम्र थी 15 वर्ष।  और संघ मे प्रवेश करने बाले को उपसमपदा कहा जाता है


बौद्ध धर्म को मानते हुए गृहस्थ जीवन विताने बाले को उपासक कहा जाता है।

बौद्ध धर्म के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार वैशाख पुर्णिमा है। क्यूंकी गौतम बुध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और उनकी मृत्यु संयोग बस इसी दिन हुआ था।

बुध ने कहा था की संसार मे सभी पक्षों पर चार बातें लागू होती है जिसे चार आर्य सत्य कहते हैं।
1 दुख, 
2 दुख समुदाय, 
3 दुख निरोध, 
4 दामिनी प्रतिपदा

दुख को समाप्त करने हेतु बुद्ध ने आठ रास्ता बताया था जिसे अष्टांगिक मार्ग कहते हैं। जो निम्न है
1         1 सम्यक दृष्टि
Buddhism

     2  सम्यक संकल्प

3         3 सम्यक वाणी

4         4 सम्यक कर्म

5         5 सम्यक आजीव

6         6  सम्यक व्यायाम

7         7 सम्यक स्मृति 

8         8 सम्यक समाधि



महात्मा बुद्ध ईश्वर के सतीत्व को नहीं मानते थे। वे ईश्वर के स्थान पर मनुष्य के प्रतिष्ठा पर ज़ोर देते थे।

बुद्ध आत्मा के सतीत्व को स्वीकार नहीं करते थे। लेकिन पुनर्जन्म मे विश्वास रखते थे।

इनहोने वर्ण व्यवस्था एवं जाती व्यवस्था का बिरोध किया। इनका मानना था की मनुष्य मे भेद-भाव के आधार पर नहीं वलकी गुण के आधार पर सर्वोच्च होना चाहिए।

बुद्ध की प्रथम बौद्ध संगति का आयोजन 483 ईसा पूर्व मे मगध की राजधानी राजगृह (राजगीर) के सप्त्कर्णी गुफा मे किया गया था। उस समय वहाँ का राजा आजातशत्रु (हार्यक वंश) थे। और इस संगति का आयोजन बौद्ध विद्यमान महकाश्यप ने किया था।

इस बैठक मे बुद्ध के उपदेशों एवं शिक्षा का संकलन दो भागों मे किया गया। 
1 सुपिटक, 2 विनयपीटक ।



दूसरी बौद्ध संगति का आयोजन 383 ईसा पूर्व मे वैशाली वैशाली मे किया गया था। उस समय वहाँ के राजा कालाशोक (शिशुनाग वंश) के था। और इस संगति का आयोजन सब्बा कमीर की अध्यक्षता मे किया गया था।

तृतीय बौद्ध संगति का आयोजन 250-255 ईसा पूर्व के मध्य पाटलीपुत्र (पटना) मे हुआ था। उस समय वहाँ के राजा सम्राट अशोक (मौर्य वंश) के थे ।  एवं इसकी अध्यक्षता मोगली पुत्तीस ने किया था।


चतुर्थ बौद्ध संगति का आयोजन ईस्वी0 के प्रथम शताब्दी मे कुषाण वंश के राजा कनिष्क के काल मे हुआ था। इसकी अध्यक्षता वसूमित्र ने किया था। एवं इसके उपाध्यक्ष अश्वघोष थे। ये बौद्ध सभा का आयोजन कश्मीर के कुंडल वन मे हुआ था।

इस सम्मेलन मे बौद्ध धर्म को दो भागों मे बाँट दिया गया।
1 हीनयान
2 महायान

हीनयान- बौद्ध धर्म के वैसे लोग जो परिवर्तन विरोधी थे उन्हे हीनयान कहा गया। क्यूकी इस विचार धारा के लोग बुद्ध को महापुरुष मानते थे भगवान नहीं। ये लोग मूर्ति पुजा के विरोधी थे। इसका विकास ज़्यादातर – वर्मा , श्रीलंका, इन्डोनेशिया मे अधिक हुआ।

महायान- इसके विचार धारा परिवर्तन के समर्थन थे। ये लोग बुद्ध को भगवान मानते थे और मूर्ति एवं मंदिर बनाकर पुजा करते थे।

बाद मे महायान भी दो भागो मे बीभक्त होगया।
1 सून्यबाद             (इसके प्रवर्तक नागार्जुन थे)
2 विज्ञान बाद          (विज्ञान बाद के प्रवर्तक मैत्रेय नाथ थे)

बुद्ध के त्रिरत्न मे शामिल बुद्ध, धम, संघ था।

बौद्ध धर्म से संबन्धित सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक का नाम जातक है जिसमे गौतम बुद्ध के पूर्व जन्म की कथाएँ सामील है।

पढ़ें - जैन धर्म और महावीर स्वामी से संबन्धित महत्वपूर्ण जानकारी Link Provide Soon


गौतम बुद्ध ने कहा था की ऐसे 10 आचरण हैं जिसे पालन करना चाहिए।
1 अहिंसा , 2 सत्य , 3 अस्तेय, 4 व्यभिचार ना करना, 5 मध निषेध, 6 असमय भोजन ना करना, 7 आरामदायक विस्तर पर नहीं सोना, 8 धन का संचय ना करना, 9 गैर महिलाओं को स्पर्श ना करना, 10 ब्रह्मचारी जीवन का पालन करना। 

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