आज कल भारतीय रेलवे कितनी आधुनिक हो गई
है। शताब्दी , राजधानी से लेकर
ट्रेन 18 और मेट्रो
तक पटरियों पर सरपट दौड़ रही है।
लेकिन जब भारत मे पहली बार आज से 166 साल पहले ट्रेन चली थी। तो नजारा
ही कुछ और था। और ट्रेन भी अजीब थी।
आपने
विश्व की प्रथम रेलगाड़ी मे देखा की किस तरह रिचर्ड ट्रेवीथिक ने सबसे पहला भाव
इंजेन बनाने मे कामयाबी हासिल की थी। परंतु ट्रेवीथिक का यह इंजेन ज्यादा
शक्तिशाली नहीं था। अतः उस इंजन का पुनर्गठन नहीं किया गया।
इसके
बाद फिलाडेल्फिया का एक इंजीनियर जॉर्ज स्टीफेंस ने 1814 ईस्वी मे एक भाव इंजन
बनाने मे सफलता हासिल की। यह इंजन शक्तिशाली और भारी बस्तुओं को खिचने मे सक्षम था।
लेकिन
उस इंजन की परीक्षण के लिए लंबी लोहे की पटरियो की अवस्यकता थी। स्टीफेंस ने कुछ
लोहे की कंपनियो से बात कर के लंदन के डार्लिंगटन शहर से स्कौकटाउन तक 37 मिल लोहे
की पटरी बिछवाया। और 27 सितंबर 1825 को इंजन को पटरी परे लाया गया जिसमे 38 रेल
डिब्बो के साथ कुल 600 यात्री सवार थे। यह रेल को खुद जॉर्ज स्टीफेंस चला रहे थे।
जो 14 मील प्रति घंटा की रफ्तार से 37 मिल तक चला। उसके वाद जॉर्ज स्टीफेंस को
रेलवे का पितामह कहा जाने लगा। और इस घटना के बाद लगभग सभी
देशों ने रेल इंजन और डिब्बा बनाने मे लग गया।
उस समय
भारत मे अंग्रेज़ो का औपनिवेशिक सासन
था और भारत की राजधानी कलकत्ता हुआ करती थी। जो
अङ्ग्रेज़ी सरकार का केंद्र था। उस समय कंपनी सरकार ने भी अपने
व्यावसायिक और प्रसासनिक सुविधा
के लिए भारत मे रेल चलाने की सोचा और सर्वप्रथम 1848 मे कलकत्ता शहर मे “ग्रेट
इंडियन पेनीसुला” रेलवे
कंपनी का स्थापना किया। और हावड़ा से लेकर रानीगंज तक रेलवे लाइन बिछाने का कार्य
सुरू हुआ।
उसी
दौरान गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने
1850 मे मुंबई से ठाणे तक 35 की0 मी0 रेल
लाइन बिछाया, दूरी कम होने की वजह से कोलकाता लाइन से पहले यह
तैयार हो गया। उसके बाद रेलगाड़ी खिचने के लिए डलहौजी ने ब्रिटेन से 3 भाप इंजन
मागवाया । और 16 अप्रैल 1853 को भारत की पहली
रेलगाड़ी मुंबई के पोरबंदर से 20 रेल
डिब्बो के साथ 400 यात्री लेकर दोपहर 3 बजकर 30 मिनट पर
रवाना हुई और 35 किलो मीटर की
यात्रा करते हूए शाम 4:45 मे ठाणे पहुँच गई।
इसके
बाद भारत मे 1856 से भाप इंजन बनना सुरू हुआ। और धीरे- धीरे देश के अधिकतर हिस्सो
मे रेल पटरियाँ बिछाई गई।
उसके
बाद भारतीय रेलवे बोर्ड को 1905 ईस्वी मे स्थापित किया गया। और उसके 46 साल बाद
1951 मे भारतीय रेलवे का राष्ट्रीय कारण किया गया।
भारतीय
रेलवे मे पहले टॉइलेट नहीं हुआ करता था। वर्ष 1909 मे अखिल चंद्र सेन नामक एक यात्री
ने असुविधा होने पर रेलवे को खत लिखा उसके बाद से रेलवे मे टॉइलेट बनाया जाने लगा।
ये
जानकार आश्चर्य होगा की आज भी सिक्किम और मेघालय राज्यो मे रेलवे की सुविधा नही है।
बाकी
सभी राज्यो मे आधुनिक ट्रेने सरपट दौड़
रही है। और आने बाले समय मे और भी बदलाव होने बाकी है।
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